सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार स्वयं प्रकाश का निधन हो गया है। उन्हें मुख्यत: कथाकार के तौर पर जाना जाता है। 20 जनवरी 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश 5 उपन्यास लिख चुके हैं और उनके 9 कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनके लिखे उपन्यासों में जलते जहाज पर, ज्योति रथ के सारथी व उत्तर जीवन कथा आदि शामिल हैं। साहित्यकार स्वयं प्रकाश को प्रेमचंद की परंपरा का महत्वपूर्ण कथाकार माना जाता है।
कहानियां लिखने से पहले स्वयं प्रकाश सस्वर कविता-पाठ किया करते थे। बाद में प्रसिद्ध कथाकार रमेश उपाध्याय केे निर्देशन में उन्होंने कहानी लिखना प्रारंभ कर दिया। उनका लेखन जनवादी रहा, उनकी कहानियां दुख साझा करती लगती थीं। उनकी कहानियों से जो रस पढ़ने पर मिलता उससे कहीं अधिक उन्हें सुनने पर मिलता है। स्वयं प्रकाश की कहानियों का अनुवाद रूसी भाषा में भी हो चुका है।
उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, वनमाली स्मृति पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है। उनके जाने से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है।